फिल्में कभी हमें सपने देखना सिखाती हैं और कभी जिंदगी की सीख दे जाती हैं. लेकिन फिल्में ही हैं, जो हमें दुनिया के सच, कानून और विज्ञान से दूर एक ऐसी दुनिया में ले जाती हैं, जिसका सच से सीधे तौर पर कोई वास्ता नहीं होता. सच सिर्फ ये है कि दुनिया काफी बदल गई है और फिल्में अब भी कहीं ना कहीं वहीं हैं. ये हम यूं नहीं कह रहे, हमने ऐसी कुछ बातों की लिस्ट बनाई है, जिनके बारे में पढ़कर फिल्मी सच का पर्दाफाश करने में आपको भी मदद मिलेगी.
1. बंदूक है, तो फिंगर प्रिंट्स होंगे ही
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किसी भी फिल्मी क्राइम सीन में बहुत आसानी से ये दिखा दिया जाता है कि अगर
मौके से बंदूक बरामद हुई है, तो उस पर फिंगर प्रिंट्स होंगे ही. जबकि बंदूक
का विज्ञान ये बताता है कि उस पर से फिंगर प्रिंट मिलना इतना आसान नहीं
होता. दरअसल चलाने वाले की ग्रिप अच्छी बने इसलिए बंदूक की सतह और किनारों
को खुरदरा बनाया जाता है. इस वजह से ये काफी मुश्किल है कि उस खुरदरी सतह
से किसी के भी सही फिंगर प्रिंट लिए जा सकें.
2. म्यान से तलवार निकलने पर आने वाली वो आवाज
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वॉर और पीरियड फिल्में काफी ट्रेंड में रहती हैं. अगर आप ये फिल्में पसंद
करते हैं, तो आपने वो आवाज भी सुनी ही होगी... जब हीरो अपनी म्यान से तलवार
निकालता है. ऐसी आवाज निकलने के लिए म्यान का मेटल से बना होना जरूरी है.
और अगर म्यान मेटल की होगी, तो आप समझ सकते हैं कि आपके शरीर पर उसके निशान
बन सकते हैं. इसलिए सच्चाई ये है कि तलवारबाजी में म्यान ज्यादातर लेदर या
लकड़ी की बनी होती है, जिससे तलवार को निकालने पर ऐसी कोई फिल्मी आवाज
नहीं आती है.
3. सीधे शरीर में घुसा दो तलवार औऱ खत्म कर दो काम
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सीधे किसी के शरीर में तलवार घुसा देना और फिर तलवार का बिलकुल सीधे सीधे
बाहर निकल आना, ये सिर्फ फिल्मों में ही हो सकता है. असल में ऐसा मुमकिन
नहीं है. जब आप सॉफ्ट, ग्लोइंग हॉट मेटल को किसी व्यक्ति के शरीर में
घुसाते हैं तो संभावना है कि तलवार मुड़ जाएगी ना कि सीधे उसके शरीर में
घुसेगी. अगर वह मुड़ती नहीं भी है, तो भी बाहर निकालने पर आपको सीधी चमकती
हुई तलवार नहीं मिलेगी.
4. चलती गाड़ी से चला दो विलेन पर बंदूक
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बंदूक की गोली में कोई जादुई ताकत नहीं होती है, बंदूक की गोली भी
गुरुत्वाकर्षण बल से वैसे ही प्रभावित होती है, जैसे कि बाकी सारी चीजें.
जब आप बंदूक चलाते हैं, तो गोली के सीधी रेखा में दूर तक जाने की संभावना
ना के बराबर होती है, वो उतनी ही दूर जा सकती है, जितना कि आप हाथ से एक
गोली को दूसरी ओर फेंके और कुछ ही देर में वो आपको जमीन पर गिरी मिले. ऐसे
में वो दृश्य असलियत से काफी दूर हैं, जब हीरो चलती कार या बाइक से विलेन
पर गोली बरसाता जाए और उसका निशाना भी सीधा लगता जाए.
5. क्लोरोफॉर्म सुंघाकर कर दो बेहोश
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क्लोरोफॉर्म सुंघाते ही आदमी तुरंत बेहोश नहीं हो जाता है और ना ही घंटों
तक बेहोश रहता है. फिल्मों में अक्सर हीरोइन की किडनैपिंग या बैंक की लूट
क्लोरोफॉर्म सुंघाकर दिखाई जाती है. ये सही है कि क्लोरोफॉर्म में किसी भी
व्यक्ति को बेहोश करने की क्षमता होती है, लेकिन इसकी साइंस जानना भी जरूरी
है. क्लोरोफॉर्म का शरीर में असर होने में 3-4 मिनट का समय लगता है.
क्लोरोफॉर्म सुंघाने से एक व्यक्ति को केवल कुछ मिनट के लिए बेहोश किया जा
सकता है. उसको घंटों तक बेहोश रखने के लिए आपको लगभग 5 मिनट से ज्यादा
क्लोरोफॉर्म सुंघाना होगा.
6. प्लास्टिक सर्जरी से पूरी तरह बदल जाता है इंसान का चेहरा
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आपने कईं फिल्मों में देखा होगा कि प्लास्टिक सर्जरी के बाद इंसान का चेहरा
बिल्कुल बदल गया. ऐसा सच में नहीं होता है. प्लास्टिक सर्जरी से चेहरे में
कई तरह के बदलाव किया जाना संभव हो गया है, लेकिन किसी के चेहरे यानी
पहचान को ही पूरी तरह बदल देना अब भी एक अलग ही तरह की सर्जरी की मांग करता
है, जो हकीकत में इतनी आसानी से मौजूद नहीं है, जितना कि फिल्मों में
दिखाया जाता है.
7. मां को बचाएं या बच्चे को
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अक्सर जब भी किसी बच्चे की डिलिवरी का सीन होता है और कॉम्पिलकेशन सामने
आते हैं, तो हमारी फिल्मों में अक्सर डॉक्टर या नर्स हीरो के सामने एक बड़ा
सवाल लेकर खड़े होते हैं. इस सवाल के साथ उनके पास होता है एक मेडिकल
फॉर्म जिस पर हीरो को साइन करने होते हैं और साथ में बताना होता कि वो
बच्चे को बचाना चाहता है या मां को. फिर हीरो भावुक होकर मां को बचाने की
हामी भरता है. जबकि असलियत ये है कि कानून के हिसाब से ऐसी किसी स्थिति में
डॉक्टर को मां को ही बचाना होता है.
8. कुछ ही मिनटों में सिस्टम हैक हो जाना
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जैसा कि अक्सर फिल्मों में दिखाया जाता है कि कोई भी हैकर किसी भी सिस्टम
को कुछ ही समय में हैक कर लेता है, जबकि सच में ऐसा नहीं होता. क्या आप
जानते हैं कि किसी भी प्रोफेशनल हैकर को किसी भी सिस्टम को हैक करने में
घंटों, हफ्तों या कई बार महीनों का भी समय लग सकता है.
9. साइलेंसर का मतलब बिलकुल नहीं आएगी आवाज
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साइलेंसर का मतलब ये नहीं होता कि बंदूक चली और जरा भी आवाज नहीं हुई.
गनपाउडर में जब भी धमाका होता है, वह बहुत आवाज करता है. साइलेंसर से वो
तेज आवाज सिर्फ कम हो जाती है, लेकिन ऐसा नहीं होता कि बंदूक चली और बिलकुल
आवाज नहीं आई. इतनी आवाज जरूर आती है कि आसपास के लोगों को सुनाई दे सके.
10. ताले पर बंदूक चलाओ और तोड़ दो ताला
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कई फिल्मी सीन ऐसे हैं, जब हीरो बंद ताले पर बंदूक चलाता है और ताला टूट
जाता है. यकीन मानिए ये एकदम फिल्मी सीन है और इसका असलियत से लेना-देना
नहीं है. बंदूक की गोली आमतौर पर सॉफ्ट लेड से बनी होती है और ज्यादातर
ताले हार्ड स्टेनलेस स्टील से बने होते हैं. हैंडगन से ये ताले खोलने की
कोशिश करना एकदम उलट नतीजे दे सकता है. हो सकता है वो ताला खोलना आपके लिए
मुश्किल ही हो जाए या फिर ताला खुलने की बजाय आसपास किसी और तरह का नुकसान
हो जाए. हालांकि शॉटगन से ऐसा कर पाना फिर भी कुछ हद तक संभव है.
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