जिनमें यदि व्यक्ति फैसला ले लेता है तो वह पूर्णता बर्बाद हो जाता है दोस्तों आचार्य चाणक्य द्वारा इन परिस्थितियों का वर्णन किया है इन परिस्थितियों में व्यक्ति हो फैसला नहीं लेना चाहिए दोस्तों जानते हैं।
उन परिस्थितियों के बारे में जो आचार्य चाणक्य द्वारा बताई गई हैं तो चलिए दोस्तों जाने उन परिस्थितियों के बारे में जान लेते हैं।
गुस्से में कोई फैसला नहीं देना चाहिए!
दोस्तों गुस्से में कोई फैसला नहीं लेना चाहिए आचार्य चाणक्य कहते हैं की यदि व्यक्ति गुस्से में कोई फैसला लेता है तो वह सही की जगह गलत निर्णय कर बैठता है।
जिससे वह व्यक्ति को बाद में पछताना पड़ता है दोस्तों अक्सर लोगों को गुस्सा आता है और आपने देखा होगा की गुस्से में वह अच्छे कार्य को भी खराब कर देते हैं और कार्य विफल हो जाता है इसीलिए दोस्तों गुस्से में फैसला नहीं लेना चाहिए।
जल्दबाजी में!
दोस्तों आज के समय में व्यक्ति जल्दबाजी कोई भी फैसला क्यों ना हो कर बैठता है जल्दबाजी में फैसला करने की बजाय से बह जाती गलत फैसला कर बैठता है।
इसीलिए आचार्य चाणक्य कहते हैं कि कोई भी फैसला लेने से पहले उसके बारे में 100 बार सोचना चाहिए और जल्दबाजी में फैसला प लेने से बचना चाहिए।
गंभीर परिस्थिति में !
दोस्तों आचार्य चाणक्य के अनुसार गंभीर परिस्थितियों में भी फैसला नहीं लेना चाहिए गंभीर परिस्थितियों में मनुष्य का मानसिक संतुलन ठीक नहीं होता है।
और इसकी वजह से वह जिस फैसले को लेता है वह फैसला उसके विपरीत हो जाता है जिससे उसको बहुत नुकसान उठाना पड़ता है कभी भी ऐसी स्थिति में फैसला नहीं देना चाहिए।
दोस्तों महान विद्वान आचार्य चाणक्य ने अपने कई अध्ययनों में ऐसी बातें कहीं हैं जिनका पालन करके आप अपने सफल जिंदगी जी सकते हैं और बड़ी से बड़ी मुसीबत से सामना कर सकते हैं।
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