दोस्तों ,भौतिक विज्ञान में आपने चुंबक के बारे में तो बहुत सारी चीजें पढ़ी होगी। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह चुंबक की खोज कहां पर हुई ,कैसे हुई ,किसने की। उसके बाद क्या हुआ। अगर नहीं पता है, तो आज हम आपको बताएंगे कि चुंबक सबसे पहले कहां पर मिली, किस मनुष्य ने इसकी खोज की थी।वह सारी बातें हम आज बताएंगे।
मैगनेट एक ऐसा पदार्थ होता है ,जिसमें लोहे की वस्तुओं जैसे कि चाकू ,छुरी या अन्य लोहे की वस्तुओं आदि को आकर्षित करने का गुण पाया जाता है।
मेगनेट के खास गुण क्या-क्या होते हैं? Y
1.यदि किसी भी छड़ चुंबक को हवा में स्वतंत्र अवस्था में लटका दिया जाए, तो उसके दोनों सिरे ,उत्तर और दक्षिण दिशा में हो जाते हैं।
2.यदि किसी चुंबक को गर्म किया जाए या उस पर प्रहार किया जाए तो उसका चुंबकत्व नष्ट हो जाता है।
3.यदि किसी चुंबक के उत्तरी ध्रुव को किसी दूसरे चुंबक के उत्तरी ध्रुव के पास लाया जाए तो दोनों में प्रतिकर्षण होगा।
4.यदि किसी चुंबक के दक्षिण ध्रुव को किसी दूसरे चुंबक के उत्तरी धुर्वे के पास लाया जाए तो दोनों में आकर्षण होगा।
मैग्नेट के कितने ध्रुव होते हैं? मैग्नेट के दो ध्रुव होते हैं। 1. उत्तरी ध्रुव 2. दक्षिणी ध्रुव चुंबक कितने प्रकार के होते हैं?
चुंबक दो प्रकार के होते हैं। 1. प्राकृतिक चुंबक 2. कृत्रिम चुंबककृत्रिम चुंबक दो प्रकार के होते हैं। 1. स्थाई चुंबक 2. अस्थाई चुंबक
चुंबक के खोज किसने की ?
एक चुंबक (magnet) के बारे में तो हम सभी जानते है! की magnet क्या होती है? यह एक चुंबकीय वस्तु या लोहे को अपनी और खींचती है! और उसे Attract करती है! चुंबक की पट्टी जब लटकायी जाती है तो इसके सिरेे हमेशा North - South दिशा में ठहर जाते हैं! इस गुण के कारण ही इसे load stone भी कहा जाता है !
दोस्तों इंटरनेट पर चुंबक की खोज से रिलेटेड बहुत सारी कहानियां है, लेकिन जो कहानी सबसे अधिक सही है। वह आज हम आपको बताने जा रहे हैं । वर्षों पूर्व प्राचीन यूनान में एक गडरिया का लड़का रहता था। उसका नाम था मेगनस।वह आसपास के जंगलों के पहाड़ों पर अपनी भेड़े चराया करता था।
एक दिन उसने पहाड़ों के ऊपर आश्चर्यजनक घटना घटित होती हुई देखी। वह लड़का भेड़े चराते चराते एक पत्थर पर जा बेठा जो कि आधा जमीन के अंदर था और आधा जमीन के ऊपरी भाग पर।जब मेघनस उस पत्थर से उठने लगा तो उसने देखा कि उसकी छड़ी चिपक गई है।
और जब उसने उस छड़ी को छुड़वाने के लिए अपने पैर उस पत्थर पर रखे तो उसके जूते भी वहीं पर चिपक गए थे। यह देखकर उसको बहुत आश्चर्य हुआ उसने अपने जूते और छड़ी को छुड़वाने के लिए खूब जोर लगाया तो छड़ी थोड़ी सी छुट्टी लेकिन वापस चिपक गई।यह देखकर मेघनस घबरा गया और वह सोचने लगा कि शायद यहां पर कोई भूत प्रेत का साया है। इस कारण वेह भूत भूत चिल्लाता हुआ गांव की ओर दौड़ा और गांव वालों को बुला लाया। पहले तो गांव वालों को मेघनस की बातों पर विश्वास नहीं हुआ और सब लोग हंसने लगे।
फिर थोड़ा सोच-समझकर गांव वालों ने उस घटना की सच्चाई जानने का प्रयास किया और गांव वाले सभी अपने अपने औजार लेकर उस पहाड़ पर चल पड़े, पर जैसे ही उन लोगों ने उस जगह पर पहुंच कर उस पर फावड़ा चलाया। तो वह फावड़ा ही चिपक गया फिर वह सोचने लगे कि कि फावडे के नीचे वाले भाग पर और जूते के नीचे वाली स्टेप पर लोहे की कील है और इस काले पत्थर पर केवल लोहे की चीजें ही चिपकती हैं।
लोगों को उस काले पत्थर का नाम पता नहीं था इसलिए उन्होंने उस लड़के के नाम पर ही उस पत्थर का नाम मैगनेट रख दिया। और उसी दिन से हम आज तक उसे चुंबक के नाम से जानते हैं। यही चुंबक की खोज की सबसे सच्ची कहानी है। वरना वैसे तो इंटरनेट पर बहुत सारी मनगढ़ंत कहानियां मिल जाएंगी आपको लेकिन यह एक सच्ची कहानी है।
क्या आपको पता है? इसकी खोज के बाद कई सालों तक, magnet अंधविश्वास में घिरा हुआ था! और इस तरह, बुरी आत्माओं को दूर करने, डराने और आकर्षित करने के काम में आता था! फिर धीरे धीरे इसके उपर research की गयी! और फिर लोगो को पता चला की यह magnet कैसे काम करती है! और क्या चीज है वास्तव में ये england के William gilbert चुंबक के गुणों का अध्ययन करने वाले पहले व्यक्ति थे। उन्होंने लगभग 17 वर्षों तक magnet का अध्ययन किया!
जो पदार्थ चुंबक द्वारा आकर्षित नहीं होते हैं! उन्हें अचुंबकीय पदार्थ कहते हैं। जैसे:- लकड़ी, कागज, रबड़, पत्थर, कांच, सोना, चांदी, एल्युमिनियम आदि। इन पदार्थों से कृत्रिम चुंबक भी नहीं बनाया जा सकता है। जो पदार्थ चुंबक द्वारा आकर्षित किए जाते हैं!
उन्हें चुंबकीय पदार्थ कहा जाता हैं। जैसे लोहा, निकेल, कोबाल्ट आदि वो पदार्थ है जिन पदार्थों से कृत्रिम चुंबक बनाया जा सकता है! चुंबक के विपरीत ध्रुव एक दूसरे को हमेशा आकर्षित करते हैं, जबकि समान ध्रुव हमेशा एक दूसरे को प्रतिकर्षित यानी दूर भगाते हैं। अर्थात उत्तर-दक्षिण एक दूसरे को आकर्षित करेंगे, जबकि उत्तर-उत्तर और दक्षिण-दक्षिण एक दूसरे को प्रतिकर्षित करेंगे।
चुंबक के गुणों का जल्द से जल्द खोज यूनानियों या चीनी या तो द्वारा किया गया था चुंबकत्व की समझ में 1600 में विलियम गिलबर्ट के प्रयोग किया गया था तो यह गिल्बर्ट को पहली बार एहसास हुआ कि पृथ्वी एक विशाल चुंबक था!
कुछ चुम्बक प्राकृतिक रूप से भी पाये जाते हैं निर्मित किये गये चुम्बक दो तरह के होते है जैसे स्थायी चुम्बक और अस्थायी चुंबक (magnet) और दोनों में अंतर है जैसे:-
शुरुआती खोजें
Peregrinus & Gilbert Peter Peregrinus को 1269 में अंधविश्वास से अलग करने के पहले प्रयास का श्रेय दिया जाता है। पेरेग्रीनस ने एक पत्र लिखा था जिसमें उस समय की जाने वाली हर चीज़ का वर्णन किया गया था, जो मैग्नेटाइट के बारे में थी। ऐसा कहा जाता है!
कि उन्होंने लुसेरा की दीवारों के बाहर खड़े रहने के दौरान ऐसा किया था, जिसकी घेराबंदी की जा रही थी। जब लोग दीवारों के अंदर मौत के मुंह में समा रहे थे, पीटर पेरेग्रीनस पहली ‘वैज्ञानिक’ रिपोर्टों में से एक लिखने के बाहर था और एक जिसका दुनिया पर व्यापक प्रभाव पड़ना था।
हालांकि, चुंबकत्व की समझ में 1600 में विलियम गिल्बर्ट के प्रयोगों के साथ ही महत्वपूर्ण प्रगति हुई थी। यह गिल्बर्ट था जिसने पहली बार महसूस किया था कि पृथ्वी एक विशाल चुंबक है और यह मैग्नेट लोहे को मारकर बनाया जा सकता है। उन्होंने यह भी पता लगाया कि हीटिंग से प्रेरित चुंबकत्व का नुकसान हुआ।
oersted और maxwell :-
1820 में Hans Christian Oersted (1777-1851 डेनिश) ने दिखाया कि चुंबकत्व बिजली से संबंधित एक विद्युत धारा को चुंबकीय campas के करीब ले जाने वाले तार को लाने से संबंधित था! जो campas सुई के घूमने का कारण बना। अब यह ज्ञात है कि जब भी प्रवाह होगा, तो आसपास के स्थान में एक संबद्ध चुंबकीय क्षेत्र होगा!
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